Thursday, 3 April 2014

computer ki visheshtaye

 
आज जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर की उपयोगिता महत्त्वपूर्ण साबित हो रही है| हर कहीं कंप्यूटर का बोल-बाला ऐसे ही नहीं है, कंप्यूटर की अपार सपफलता का राज़ उसकी कई विशिष्ट खूबियाँ हैं|

कंप्यूटर की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

) स्वचलित (Automation): कंप्यूटर की संरचना इस प्रकार की गयी है की वो दिए गए कार्य को किसी भी प्रकार के बाहरी सहायता के स्वयं ही उसमें दर्ज निर्देशानुसार पुरा करता है और हमें इच्छित परिणाम देता है| परन्तु ऐसा बिल्कुल नहीं है की कंप्यूटर हमारी ही तरह समझबूझ रखता है अथवा स्वावलंबी होता है, कंप्यूटर में किसी भी कार्य को सुचारू रूप से दिए गए निर्देशों के आधार पर कैसे पुरा करना है इसकी जानकारी पहले से ही भरी हुई होती है, जिसकी सहायता से वह कार्य करता है| कंप्यूटर में तरह-तरह के कार्य करने के लिए विशेष प्रकार के प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होते हैं जिनमें कोई कार्य कैसे करना है उसकी जानकारी पहले से ही भरी हुई होती है|
भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिए अलग सॉफ्टवेयर होते हैं|

) तीव्रता (Speed): कंप्यूटर में किसी भी प्रकार की गणना को पलकभर में ही हल करने की क्षमता होती है, जटिल से जटिल प्रकार की गणनाएं वह बड़ी ही तीव्रता एवं पुरी सटीकता से पुरा करता है| कई प्रकार की गणितीय/भौमितिक/भौगोलिय/वैज्ञानिक/आकाशीय आदि गणनाएँ जिन्हें पुरा करने में हमें कई वर्षों यहाँ तक की पुरा जीवन भी लग सकता हैं, उन्हें कंप्यूटर कुछ ही क्षणों में बड़ी ही सरलता से पुरा कर लेता है|
हम किसी यात्रा की दुरी को तय करने की तीव्रता, प्रति घंटा कितनी दुरी तय की गयी इस प्रकार आंकते करते है, किसी कार्य को पुरा करने में जितना समय लगता है वह उस कार्य को करने की तीव्रता दर्शाता है| कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है, कंप्यूटर लाखों-करोणों निर्देश प्रतिसेकंड्स की दर से करने में सक्षम है|

कंप्यूटर के तीव्रता को मापने की इकाई निम्नलिखित हैं:

i) kIPS: Kilo Instructions Per Second
i) MIPS: Million Instructions per second
ii) megaflop, MFLOP: Million Floating Point Operations per second
iii) teraflop: Trillion Floating Point Operations per second
[इकाई =
1 kilo = १००० या १०,
1 Million = १० लाख या १०;
1 Billion = अरब या १०,
1 Trillion= १० खरब या १०१२]

३)सटीकता (Accuracy): कंप्यूटर हर कार्य तीव्रता से तो करता ही है, साथ ही साथ हर परिणाम की सटीकता भी बरकरार रखता है। चूँकि कंप्यूटर एक यंत्र है, इसलिए वो जो भी कार्य करता है उसे निर्दिष्ट पद्धति के आधार पर ही करता है, जिससे की किसी भी प्रकार के चूक की संभावना न के बराबर होती है| यदि कंप्यूटर किसी कार्य का गलत परिणाम देता है तो भी उसमें कंप्यूटर की जरा भी गलती नहीं होती, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, तो यदि कोई त्रुटी होती भी है तो उसे इंसानी भूल ही कहा जायेगा| सम्भवत: प्रोग्राम लिखते समय प्रोग्रामर से ही कोई त्रुटी हो जाती है, जिसके फलत: कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत हो|

) संचयन (Memory & Storage): कंप्यूटर में हर तरह के जानकारी एवं आंकडों को संचित व स्मरण रखने की अभूतपूर्व क्षमता होती है| जब भी किसी जानकारी की जरुरत होती है कंप्यूटर उसे तुंरत ही संचित जानकारी में से हासिल कर लेता है| रोजमर्रा की जिंदगी में हम प्रतिदिन हजारों जानकारी एवं अनुभवों से गुजरते है, परन्तु हमारा मस्तिष्क उन सभी जानकारी व अनुभवों को सदा के लिए संचित नहीं रखता, जो भी अनुभव या जानकारी हम याद रखना चाहते हैं हमारा मस्तिष्क उन्हें ही संचित करता है तथा गैरजरूरी जानकारी को सन: सन: हमारी याददास्त से निकालता जाता है| परन्तु कंप्यूटर में आंकडों को लंबे समय तक याद/संचित रखनें के लिए एक विशिष्ट युक्ति होती है जिसे द्वितीय मेमरी (Secondory Storage Device) कहते हैं| एक बार जो भी जानकारी संरक्षित कर दिया जाता है वह फिर सदा के लिए बना रहता है, वह तभी मिटता है जब की उपयोगकर्ता स्वयं ही उसे नहीं मिटा देता|

) क्षमता एवं उत्पादकता (Diligence): कंप्यूटर हर कार्य बड़ी ही संजीदगी से करते हैं, उन्हें हमारी तरह कभी भी थकान महसूस नहीं होती| एक ही प्रकार के कार्य करते करते इंसान उब सकते जिससे उनकी उत्पादकता तथा गुणवत्ता का स्तर घट सकता है, उसके विपरीत कंप्यूटर में एक ही काम बिना रुके लगातार करने की क्षमता होती है, और वे उत्पादकता एवं गुद्वात्ता से जरा भी समझौता नहीं करते| वे एक ही बार में कई तरह के कार्य कर सकते हैं, उनमें अपार शक्ति होती है| जो कार्य कई लोगों को मिलकर पुरा करने में महीनों लग सकते हैं उन्हें कंप्यूटर चुटकी बजाते ही पुरा कर सकने में सामर्थ्यवान होते हैं|

) बहुमुखी प्रतिभा (Versatility): कंप्यूटर विविध प्रकार के कार्य करने में पारंगत होते हैं| चाहे जटील से जटील गणितीय गणनाएँ करना हो, किसी जानकारी का अवलोकन करना हो, मौसम का हाल जानना हो, दूरध्वनी का प्रषारण करना हो, चिकित्सकीय इलाज करना हो, दस्तावेज तैयार करना हो ऐसे कई कार्य कंप्यूटर बड़ी ही आसानी से पुरा कर लेता है| मोबाइल फ़ोन भी कंप्यूटर कही ही एक रूप है, इनका उपयोग सिर्फ किसी से संपर्क साधने तक ही सिमित नहीं रहा, अब ये भी एक साथ कई कार्य कर सकने में सक्षम होते हैं|
निर्देशों की सूचि जिसे प्रोग्राम कहते हैं, का क्रियान्वयन और प्राप्त जानकारी को रक्षित करनें करनें की क्षमता ही कंप्यूटर को सबसे अलग बनती है, कंप्यूटर की यही विशेषता इसे एक कैलकुलेटर से भिन्न बनती है |

) भवनाहीनता (No Feelings): हम इंसानों की तरह कंप्यूटर की अपनी कोई भावना या चेतना नहीं होती| किसी कार्य को निरंतर करते रहने पर भी उसे चिढ़, थकान या उबन नहीं होती| चूँकि कंप्यूटर कलपुर्जों से बना एक मशीन मात्र है इसलिए उसे कभी भी खुशी, दुःख या उत्तेजना महसूस नहीं होती|

) बुद्धिहीनता (Absence of IQ): कंप्यूटर की अपनी कोई बुध्धिमत्ता नहीं होती| कंप्यूटर किसी भी प्रकार की व्यवहारिक या आतंरिक गड़बडी को कैसे दुर करना है इसका निर्णय स्वयं नहीं ले सकता, इसके लिए उसे उपयोगकर्ता के निर्देश पर निर्भर रहना पड़ता है| कंप्यूटर स्वयं चालू-बंद नहीं हो सकता| कंप्यूटर छोटे बच्चों की तरह ही होत हैं, वे बिलकुल वैसा ही करते हैं जैसा की हम चाहते हैं या\और उन्हें सिखाते या बताते हैं| 
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computer-utpatti kramagat unnati

आप अपने पूरे जीवन काल में ऐसे कितने आविष्कार के बारे में सोच सकते हैं, जो हमारे समाज में सब कुछ बदल कर रख दे? कंप्यूटर ने चंद दशकों में ही पुरी दुनिया के सोचने-समझने, कार्य करने और यहाँ तक की रहन-सहन का तरीका भी बदल के रख दिया| इसे कंप्यूटर क्रांति माना जाने लगा| परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता की कंप्यूटर की खोज इसी सदी में हुई, अंकों एवं गणन का उपयोग मानवजाति के विकास क्रम के शुरुवात से ही रहा है| शुरुवाती दौर में, हाथों की उँगलियों का उपयोग करना, मृत प्राणियों के हड्डी का प्रयोग करना, रेखाएं खींचना, चिन्ह बनाना इत्यादि का उपयोग
होता था|

Counting with Hand
Counting with Bones
अब तक ज्ञात श्रोतों के आधार पर, शुन्य के इस्तेमाल का सर्वप्रथम उल्लेख हिंदुस्तान के प्राचीन खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ आर्यभठ्ठ द्वारा रचित गणितीय खगोलशास्त्र ग्रंथ आर्यभठ्ठीय के संख्या प्रणाली में, शून्य तथा उसे दर्शाने का विशिष्ट संकेत सम्मिलित किया था, तभीसे से संख्याओं को शब्दों में प्रदर्शित करने के चलन शुरू हुआ|

भारतीय
लेखक पिंगला (200 ई.पू.) नें छंद शास्त्र का वर्णन करने के लिए, उन्नत गणितीय प्रणाली विकसित किया और द्विआधारिय अंक प्रणाली
(०,१)(Binary Number System) का सर्वप्रथम ज्ञात विवरण प्रस्तुत किया| इसी जादुई अंक अर्थात अंक तथा अंक १ का प्रयोग कम्प्यूटर की संरचना में प्रमुख रूप से किया गया|

"कंप्यूटर" शब्द का चलन आधुनिक कंप्यूटर के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही होता रहा है, पहले जटील गणनाओं को हल करने के लिए उपयोग होने वाले अभियांत्रिकी मशीनों को चलाने वाले विशेषज्ञ को "कंप्यूटर" कहा जाता था| ऐसे जटील अंकगणितीय सवाल, जिन्हें हल करना बेहद मुश्किल ही नहीं अपितु अत्यधिक समय लेने वाला भी होता था, को हल करनें के लिए मशीनों का आविष्कार हुआ, और समय के साथ-साथ उनमें कई बदलाव व सुधार होते गए| विज्ञान की खोज और उसमें हुए कई महत्त्वपूर्ण आविष्कारों ने कंप्यूटर के आधुनिककरण में खूब योगदान दिया है| गणन यन्त्र विशेषज्ञों से आगे बढ़कर अभियांत्रिक मशीनों का बनना, विद्युतचालित यंत्रों का आविष्कार और फिर आधुनिक कंप्यूटर का स्वरूप मिलना, ये कंप्यूटर आविष्कार के क्रमागत उन्नति पथ हैं|

३००० .पु. में "ABACUS" नामक गणना करने वाले यन्त्र का उल्लेख किया जाता है, ABACUS में कई छडें होती हैं जिनमें कुछ गोले होते हैं जिनके जरिये जोड़ घटाना करते थे, परन्तु इनसे गुणन या विभाजन नहीं किया जा सकता था|
AbacusAbacus1१६००वीं सदी से लेकर 1970 तक का दशक कंप्यूटर के विकास में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण रहा है|

*१६२२वीं ईसवी में विलियम औघ्त्रेड ने "स्लाइड रुल" का ईजाद किया|
*१६४२
वीं ईसवी में ब्लैसे पास्कल नें पास्कलिन नमक यन्त्र बनाया जिससे जोड़-घटना किया जा सकता था|
*१६७२वीं ईसवी में Gottfried Wilhelm Leibniz नें
Leibniz Step Reckoner (or Stepped Reckoner) नामक एक कैलकुलेटर मशीन बनाया जिसमे जोड़, घटाना, गुना तथा भाग ये सभी गणनाएं करना सम्भव हुआ|
Leibnitzrechenmaschine
*१८२२ ईसवी में चार्ल्स बैबेज नें "डिफरेंशिअल इंजन" का आविष्कार किया तथा १८३७ ईसवी में "एनालिटिकल इंजीन " का अविष्कार किया जो की धनाभाव के कारण पुरा हो सका, कहा जाता है की तभी से आधुनिक कंप्यूटर की शुरुवात हुई| ईसलिए चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का जनक " भी कहा जाता है|


* १९४१ ईसवी में "कोनार्ड जुसे" नें zuse-Z3 का निर्माण किया, जो की द्विआधारी अंकगणितीय (Binary Arithmetic) एवं चल बिन्दु अंकगणितीय (Floating point Arithmetic) संरचना पर आधारित सर्वप्रथम विद्युतीयकंप्यूटर था|
zuse_konrad* १९४६ में अमेरिकी सैन्य शोधशाला ने "ENIAC" (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया जो की दशमिक अंकगणितीय (Decimal Arithmetic) संरचना पर आधारित सर्वप्रथम कंप्यूटर बना| जो आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के विकास का आधार बना|
* १९४८ में Manchester Small-Scale Experimental Machine पहला ऐसा कंप्यूटर बना जो की किसी प्रोग्राम को Vaccum Tube में संरक्षित कर सकता था|आगे चलकर इस प्रगति पथ में और भी कई विशेष परिवर्तन हुए और आधुनिक कंप्यूटर चलन में आया|

computer parichy

धुनिक युग के विकास में कंप्यूटर का योगदान अतुल्यनीय रहा है, फिर चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों ना हो, आज कंप्यूटर की मौजूदगी हर कहीं सहजता से देखी जा सकती है| आज हमारे रोजमर्रा के हर कार्य कंप्यूटर पर ही निर्भर करते हैं, रेल तिकट आरक्षित करना हो या ATM मशीन से कुछ रुपये निकालनें हों, या चाहे फोटो ही क्यों ना खिंचवानी हो ये सभी कार्य आज कंप्यूटर के जरिये बड़ी ही आसानी से एवं कम समय में और तो और कम लागत में हो जाता है|

विज्ञान, तकनीकी, शोध, चिकित्सा, प्राद्योगिकी, उड्डयन, संचार एवं शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर ने कृषि के क्षेत्र की प्रगति में भी बड़ी अहम् भूमिका अदा की है| आज कंप्यूटर क्रांति ने मानों सारे विश्व को एक सूत्र में बाँध दिया है| इन्टरनेट ने तो कंप्यूटर के प्रचार-प्रसार में बड़ा ही अहम् भूमिका निभाया है| आज हम इन्टरनेट के जरिये दुनिया के एक कोने से दुसरे कोने में पलक झपकने भर में ही संपर्क साध सकते हैं, ई-मेल ने तो पत्र-व्यवहार का काया-कल्प ही कर दिया है| जहाँ साधारण डाक द्वारा पत्राचार की प्रक्रिया में कई दिन लग जाते थे, वहीँ आज ई-मेल के जरिये संदेश चंद सेकंड्स में ही दुनिया के किसी भी कोने में बड़ी ही आसानी से भेजे जा रहे हैं; और तो और आप इन्टरनेट टेलेफोनी के जरिये कहीं से-कहीं भी बातें कर सकते हैं एकदम वैसे ही जैसे हम टेलेफोन के जरिये करते हैं|

जिस तेजी से एवं इतने कम समय में कंप्यूटर का विकास हुआ है, इतनी तेजी से दुनिया का दूसरा कोई भी विकास नही देखा गया, इसे हम क्रांति नहीं तो और क्या कहेंगे! यही वजह है की यह युग "कंप्यूटर का यूग" के नाम से जाना जाता है! आम भाषा में कहें तो आज हर एक वस्तु का कंप्यूटरीकरण हो गया है| कंप्यूटर ने हर क्षेत्र को एक नया आयाम दे दिया है| शिक्षा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर ने क्रांति कर दिया है| आज पाठ्यक्रम में कंप्यूटर एक अहम् एवं अनिवार्य हिस्सा बन गया है| यहाँ तक कि कंप्यूटर ने बच्चों के खेल में भी अपनी पकड़ को मजबूत कर रखा है, विडियो/कंप्यूटर गेम्स बच्चों में ही नहीं अपितु बड़ों में भी बेहद ही लोकप्रिय हो चला है| संगीत सुनना हो या फिर कोई फ़िल्म देखनी हो या फिर चित्रकारी ही क्यों ना करनी हो कंप्यूटर के द्वारा ये सब सम्भव है| यही खूबी कंप्यूटर को "हर कार्य सक्षम" का प्रमाण प्रदान कराती है|

जिस प्रकार हम बिजली एवं अन्य संसाधनों के बिना जीवन कि कल्पना नहीं कर सकते उसी प्रकार आज के युगमें हम कंप्यूटर के बिना रोजमर्रा होने वाले कार्यों कि कल्पना भी नही कर सकते|

कंप्यूटर की संरचना एवं उसकी कार्यप्रणाली अंग्रेजी में होने की वजह से आम हिन्दी भाषियों को कंप्यूटर समझने एवं उस पर कार्य कराने में काफ़ी दिक्कत होती रही है, कंप्यूटर समझने और उस पर कार्य करने के लिए अंग्रेजी भाषा का साधारण ज्ञान होना आवश्यक है, परन्तु पिछले कुछ वर्षों से कंप्यूटर की पहुँच हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषियों तक पहुँचाने की कोशिश की जा रही है और ये बहुत हद तक सम्भव भी हुआ है| आज कंप्यूटर सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा तक सिमित नहीं रहा, बल्कि अब वह भारतीय ही नहीं अपितु दुनिया की अन्य कई महत्वपूर्ण भाषाओँ में भी फल-फुल रही है और अपनी पहुँच हर किसी तक पहुँचाने में सक्षम हुई ह