आप अपने पूरे जीवन काल में ऐसे कितने
आविष्कार के बारे में सोच सकते हैं, जो हमारे समाज में सब कुछ बदल कर रख
दे? कंप्यूटर ने चंद दशकों में ही पुरी दुनिया के सोचने-समझने, कार्य करने
और यहाँ तक की रहन-सहन का तरीका भी बदल के रख दिया| इसे कंप्यूटर क्रांति
माना जाने लगा| परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता की कंप्यूटर की खोज इसी सदी में हुई, अंकों एवं गणन का उपयोग मानवजाति के विकास क्रम के शुरुवात से ही रहा है| शुरुवाती दौर में, हाथों की उँगलियों का उपयोग करना, मृत प्राणियों के हड्डी का प्रयोग करना, रेखाएं खींचना, चिन्ह बनाना इत्यादि का उपयोग
होता था|


अब तक ज्ञात श्रोतों के आधार पर, शुन्य के इस्तेमाल का सर्वप्रथम उल्लेख हिंदुस्तान के प्राचीन खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ आर्यभठ्ठ द्वारा रचित गणितीय खगोलशास्त्र ग्रंथ आर्यभठ्ठीय के संख्या प्रणाली में, शून्य तथा उसे दर्शाने का विशिष्ट संकेत सम्मिलित किया था, तभीसे से संख्याओं को शब्दों में प्रदर्शित करने के चलन शुरू हुआ|

भारतीय लेखक पिंगला (200 ई.पू.) नें छंद शास्त्र का वर्णन करने के लिए, उन्नत गणितीय प्रणाली विकसित किया और द्विआधारिय अंक प्रणाली (०,१)(Binary Number System) का सर्वप्रथम ज्ञात विवरण प्रस्तुत किया| इसी जादुई अंक अर्थात अंक ० तथा अंक १ का प्रयोग कम्प्यूटर की संरचना में प्रमुख रूप से किया गया|
"कंप्यूटर" शब्द का चलन आधुनिक कंप्यूटर के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही होता रहा है, पहले जटील गणनाओं को हल करने के लिए उपयोग होने वाले अभियांत्रिकी मशीनों को चलाने वाले विशेषज्ञ को "कंप्यूटर" कहा जाता था| ऐसे जटील अंकगणितीय सवाल, जिन्हें हल करना बेहद मुश्किल ही नहीं अपितु अत्यधिक समय लेने वाला भी होता था, को हल करनें के लिए मशीनों का आविष्कार हुआ, और समय के साथ-साथ उनमें कई बदलाव व सुधार होते गए| विज्ञान की खोज और उसमें हुए कई महत्त्वपूर्ण आविष्कारों ने कंप्यूटर के आधुनिककरण में खूब योगदान दिया है| गणन यन्त्र विशेषज्ञों से आगे बढ़कर अभियांत्रिक मशीनों का बनना, विद्युतचालित यंत्रों का आविष्कार और फिर आधुनिक कंप्यूटर का स्वरूप मिलना, ये कंप्यूटर आविष्कार के क्रमागत उन्नति पथ हैं|
३००० ई.पु. में "ABACUS" नामक गणना करने वाले यन्त्र का उल्लेख किया जाता है, ABACUS में कई छडें होती हैं जिनमें कुछ गोले होते हैं जिनके जरिये जोड़ व घटाना करते थे, परन्तु इनसे गुणन या विभाजन नहीं किया जा सकता था|

१६००वीं सदी से लेकर 1970 तक का दशक कंप्यूटर के विकास में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण रहा है|
*१६२२वीं ईसवी में विलियम औघ्त्रेड ने "स्लाइड रुल" का ईजाद किया|
*१६४२वीं ईसवी में ब्लैसे पास्कल नें पास्कलिन नमक यन्त्र बनाया जिससे जोड़-घटना किया जा सकता था|
*१६७२वीं ईसवी में Gottfried Wilhelm Leibniz नें Leibniz Step Reckoner (or Stepped Reckoner) नामक एक कैलकुलेटर मशीन बनाया जिसमे जोड़, घटाना, गुना तथा भाग ये सभी गणनाएं करना सम्भव हुआ|

*१८२२ ईसवी में चार्ल्स बैबेज नें "डिफरेंशिअल इंजन" का आविष्कार किया तथा १८३७ ईसवी में "एनालिटिकल इंजीन " का अविष्कार किया जो की धनाभाव के कारण पुरा न हो सका, कहा जाता है की तभी से आधुनिक कंप्यूटर की शुरुवात हुई| ईसलिए चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का जनक " भी कहा जाता है|


* १९४१ ईसवी में "कोनार्ड जुसे" नें zuse-Z3 का निर्माण किया, जो की द्विआधारी अंकगणितीय (Binary Arithmetic) एवं चल बिन्दु अंकगणितीय (Floating point Arithmetic) संरचना पर आधारित सर्वप्रथम विद्युतीयकंप्यूटर था|
* १९४६ में अमेरिकी सैन्य शोधशाला ने "ENIAC" (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया जो की दशमिक अंकगणितीय (Decimal Arithmetic) संरचना पर आधारित सर्वप्रथम कंप्यूटर बना| जो आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के विकास का आधार बना|
* १९४८ में Manchester Small-Scale Experimental Machine पहला ऐसा कंप्यूटर बना जो की किसी प्रोग्राम को Vaccum Tube में संरक्षित कर सकता था|
आगे चलकर इस प्रगति पथ में और भी कई विशेष परिवर्तन हुए और आधुनिक कंप्यूटर चलन में आया|
होता था|


अब तक ज्ञात श्रोतों के आधार पर, शुन्य के इस्तेमाल का सर्वप्रथम उल्लेख हिंदुस्तान के प्राचीन खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ आर्यभठ्ठ द्वारा रचित गणितीय खगोलशास्त्र ग्रंथ आर्यभठ्ठीय के संख्या प्रणाली में, शून्य तथा उसे दर्शाने का विशिष्ट संकेत सम्मिलित किया था, तभीसे से संख्याओं को शब्दों में प्रदर्शित करने के चलन शुरू हुआ|

भारतीय लेखक पिंगला (200 ई.पू.) नें छंद शास्त्र का वर्णन करने के लिए, उन्नत गणितीय प्रणाली विकसित किया और द्विआधारिय अंक प्रणाली (०,१)(Binary Number System) का सर्वप्रथम ज्ञात विवरण प्रस्तुत किया| इसी जादुई अंक अर्थात अंक ० तथा अंक १ का प्रयोग कम्प्यूटर की संरचना में प्रमुख रूप से किया गया|
"कंप्यूटर" शब्द का चलन आधुनिक कंप्यूटर के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही होता रहा है, पहले जटील गणनाओं को हल करने के लिए उपयोग होने वाले अभियांत्रिकी मशीनों को चलाने वाले विशेषज्ञ को "कंप्यूटर" कहा जाता था| ऐसे जटील अंकगणितीय सवाल, जिन्हें हल करना बेहद मुश्किल ही नहीं अपितु अत्यधिक समय लेने वाला भी होता था, को हल करनें के लिए मशीनों का आविष्कार हुआ, और समय के साथ-साथ उनमें कई बदलाव व सुधार होते गए| विज्ञान की खोज और उसमें हुए कई महत्त्वपूर्ण आविष्कारों ने कंप्यूटर के आधुनिककरण में खूब योगदान दिया है| गणन यन्त्र विशेषज्ञों से आगे बढ़कर अभियांत्रिक मशीनों का बनना, विद्युतचालित यंत्रों का आविष्कार और फिर आधुनिक कंप्यूटर का स्वरूप मिलना, ये कंप्यूटर आविष्कार के क्रमागत उन्नति पथ हैं|
३००० ई.पु. में "ABACUS" नामक गणना करने वाले यन्त्र का उल्लेख किया जाता है, ABACUS में कई छडें होती हैं जिनमें कुछ गोले होते हैं जिनके जरिये जोड़ व घटाना करते थे, परन्तु इनसे गुणन या विभाजन नहीं किया जा सकता था|


*१६२२वीं ईसवी में विलियम औघ्त्रेड ने "स्लाइड रुल" का ईजाद किया|
*१६४२वीं ईसवी में ब्लैसे पास्कल नें पास्कलिन नमक यन्त्र बनाया जिससे जोड़-घटना किया जा सकता था|
*१६७२वीं ईसवी में Gottfried Wilhelm Leibniz नें Leibniz Step Reckoner (or Stepped Reckoner) नामक एक कैलकुलेटर मशीन बनाया जिसमे जोड़, घटाना, गुना तथा भाग ये सभी गणनाएं करना सम्भव हुआ|

*१८२२ ईसवी में चार्ल्स बैबेज नें "डिफरेंशिअल इंजन" का आविष्कार किया तथा १८३७ ईसवी में "एनालिटिकल इंजीन " का अविष्कार किया जो की धनाभाव के कारण पुरा न हो सका, कहा जाता है की तभी से आधुनिक कंप्यूटर की शुरुवात हुई| ईसलिए चार्ल्स बैबेज को "कंप्यूटर का जनक " भी कहा जाता है|


* १९४१ ईसवी में "कोनार्ड जुसे" नें zuse-Z3 का निर्माण किया, जो की द्विआधारी अंकगणितीय (Binary Arithmetic) एवं चल बिन्दु अंकगणितीय (Floating point Arithmetic) संरचना पर आधारित सर्वप्रथम विद्युतीयकंप्यूटर था|



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